आज युक्रेन युद्ध को एक साल से अधिक समय बीत चुका है लेकिन युक्रेन को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है,जिस अमेरिका और नाटो के दम पर युक्रेन ने रूस से युद्ध की ठान ली उसे अब अमेरिका ने बिल्कुल कंगाल बना कर छोड़ दिया है। अब युक्रेन न घर का रहा न घाट का। इसे कहते हैं अविश्वसनीय दोस्त पर कभी भी विश्वास नहीं करना चाहिए। आज अमेरिका वह अजगर बन चुका है जो एक जगह रहकर अपने सहयोगियों को ही बलि ले रहा
New India
This blog is to reinvent the lost glory of our Historically, culturally and Spiritually glorious India, India that is Bharat has been the Global Leader for centuries. Today we have to resolve to establish our country to the path of humanity, faith and oneness and to become the VISHWA GURU by adopting the slogan: "वसुधैव कुटुम्बकं"
युक्रेन युद्ध
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ज्ञान वापी स्वरूप भारत
ज्ञान रूपी वृक्ष की जड़े शिक्षा में हैं , शिक्षा से ही व्यक्ति का निर्माण होता है। शिक्षा जीवन का आधार है, तथा व्यक्ति को वह सब प्राप्त करने की शक्ति देता है जिसे वह अपने स्वप्न में देखता है। शिक्षा, अध्ययन, अध्यात्म, चिंतन, निर्वाण ये सब शिक्षा के ही अंग हैं, अ से शुरू होकर यह यात्रा ओंकार तक पहुँचती है। भारतीय शिक्षा के अलावा किसी अन्य शिक्षा व्यवस्था में यह सिद्धांत नहीं है। वे शिक्षित होकर विकास की ऊंचाइयों को छू सकते हैं लेकिन वास्तविक ज्ञान, जीव-ज्ञान, ब्रह्म-ज्ञान और सृष्टि-विज्ञान को छू भी नहीं सकते। दुर्भाग्य से आज भारत के अधिकतर मानव अपनी दिव्य और पवित्र ज्ञान वापी को छोड़कर एक छोटे से अंग्रेजी नाम के पोखर से सड़ांध मारती हुई शिक्षा व्यवस्था को ही अपना आदर्श मन चुकी है। और अपने भविष्य को उस अंधकूप में धकेल रही है जहां केवल स्वार्थ है, अलगाव है, एकाकीपन है, अविश्वास है, अंधकार है। जबकि शिक्षा किसी भी मानव को अंधकार से प्रकाश कि ओर ले जाती है।
।। तमसो मा ज्योतिर्गमय, असतो मा सद्गमय, मृत्योर्मा अमृतोर्गमय ।।
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महाराणा प्रताप की जन्म जयंती पर शत शत नमन। इस अवसर पर सम्पूर्ण राष्ट्र में हर्ष व् शक्ति का वो संचार हो जिससे हर नागरिक के मन में पग पग पर खड़े दुश्मनों से लड़ने का संकल्प पैदा हो। दुश्मन घात लगाए बैठा है, हे प्रताप के वंशजों जाग - उठो आज यह धरा है पुकारती।
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भारत और बुद्ध :
आज दिनांक 7 मई 2020 बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर सभी मित्रों को शांति और सद्भावना का सन्देश मानव जाती के उत्थान व अभ्युदय के लिए प्रेरणादायी हो। गौतम बुद्ध राजसी ऐश्वर्य से लुम्बिनी में 563 ई पू जन्म लेकर पले-बढ़े सभी सुख-सुविधाओं से युक्त जीवन पाया, शिक्षा दीक्षा सम्पन्न हुई, कहीं कोई दुःख कष्ट नहीं था, यौवन की दहलीज पर आते ही अचानक जीवन का असली अर्थ समझ आया और सबकुछ छोड़कर 29 वर्ष की आयु में वन को चल दिए, पूर्णत्व की खोज करने के लिए। ज्ञान और आत्मतत्व से परिपूर्ण मनुष्य ही ऐसा कठोर व्रत ले सकते हैं, परम ज्योति से साक्षात्कार के उपरांत बोध गया में बोधि वृक्ष के नीचे तत्त्व ज्ञान प्राप्त किया। ज्ञान प्राप्तकर अपना पहला उपदेश गंगा किनारे वाराणसी के समीप सारनाथ में पांच ब्राह्मण सन्यासियों के सम्मुख दिया, जिसके बाद उनके विचारों का प्रसार भारतवर्ष ही नहीं अपितु सुदूर दक्षिण पूर्व के देशों तक हुआ।
गौतम बुद्ध तथागत ने अनेक प्रकार से मानवमात्र के दुखों को दूर करने की शिक्षा दी, उन्होंने तीन सिद्धांत दिए :- अनीश्वर वाद - यानि ईश्वर के अस्तित्व का न होना; कोई उत्पतिकर्ता नहीं है और न ही अंत अतः इस सृष्टि का न प्रारम्भ न अंत, दूसरे सिद्धांत में आत्मा पर कहते हैं की आत्मा का ज्ञान महानिर्वाण से ही मिल सकता है जिसे ध्यान व् समाधी से ही प्राप्त किया जा सकता है तथा तीसरा क्षणिकवाद जिसमें इस संसार में सब कुछ क्षणिक व् नश्वर है स्थायी कुछ भी नहीं है। बुद्ध ने मनुष्य को दुखों से मुक्ति पाने के लिए अष्टांग मार्ग का रास्ता सुझाया था जिसमें; १) सम्यक दृष्टि - सत्य में विशवास २. सम्यक संकल्प - नैतिक विकास ३ सम्यक वाक - झूठ न बोलना ४. सम्यक कर्म - दया व् करुणा ५. सम्यक जीविका - हानिकारक व्यापार का निषेध ६. सम्यक प्रयास - अपने में सुधार ७. सम्यक स्मृति - स्पष्ट ज्ञान तथा ८. सम्यक समाधि - निर्वाण प्राप्त करना, इस विधि से मनुष्य अपने दुखों से पार पा सकता है। इन सभी शिक्षाओं का आधार पतंजलि के अष्टांग योग से मिलता जुलता है जिसमें यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान व् सबसे ऊपर समाधि को बताया गया है जिससे निर्वाण अर्थात बुद्धत्व प्राप्त होता है।
बुद्ध के उपदेशों का सार पंचशील के सिद्धांत के रूप में भी जाना जाता है जिसमें अहिंसा, अस्तेय - चोरी न करना, व्यभिचार न करना, प्रत्याहार - प्रतिकूल आहार निषेध व् मद्यपान निषेध आदि पांच बिंदुओं पर अधिक आग्रह किया गया। जातिके सहज व स्वतंत्र अस्तित्व के लिए ये सिद्धांत आज अति आवश्यक हैं जबकि अहिंसा पर बुद्ध के विचार वर्तमान में महात्मा गाँधी जी के अहिंसा के सिद्धांत से कुछ भिन्न थे कि जैसे कोई जीव आपके प्रति हिंसा पर उतारू हो अहिंसा तब तक ही ठीक रहेगी जब तक आपका जीवन सुरक्षित रहे लेकिन आत्मरक्षा में यदि उसकी हत्या भी हो जाये है तो उसे हिंसा नहीं समझा जाये।
आज भगवान बुद्ध की शिक्षाएं बहुत ही प्रासंगिक हैं विश्व में शांति हो यह हम सभी चाहते हैं, विश्व में अनेक राष्ट्र बुद्ध के अनुयायी हैं, चीन, जापान कोरिया , वियतनाम आदि अनेक देश बौद्ध धर्म का अनुसरण करते हुए ही विश्व में अग्रणी बनें हैं तो भारत जहाँ बुद्ध का अवतरण हुआ वह हिंसा का सबसे ज्यादा शिकार क्यों हो गया यह सोचने का विषय है। हालाँकि भारत अपनी मर्यादा में रहकर विश्व में अपना स्थान सुरक्षित बनाये हुए है।बुद्ध के शांति व शक्ति के प्रयोग हमारे देश ने किए एक बार पंचशील का प्रयोग हुआ तो दो बार बुद्ध मुस्कुराये भी हैं पहला जब 1974 में परमाणु विस्फोट 18 मई को पोखरण में किया गया तथा दूसरी बार 11 मई 1998 को बुद्ध पुनः मुस्कुराये थे, परिणाम स्वरूप विश्व में भारत परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र के रूप में स्थापित हुआ। ये भारत के लिए शक्तिवर्धक क्षण थे जिससे विश्व में भारत की पुनः प्रतिष्ठा हुई। बुद्ध का सन्देश बिलकुल साफ है शक्ति ही शांति का मूल मंत्र है। आज हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का कोरोना संकट पर विजय के लिए विश्व को स्पष्ट सन्देश है की विश्व शांति के लिए बुद्ध के अंहिंसा, शांति, सह अस्तित्व व् विश्व बंधुत्व के मंत्र ही कारगर हैं ।
डॉ. मनोज गौड़।
7 मई, 2020
गौतम बुद्ध तथागत ने अनेक प्रकार से मानवमात्र के दुखों को दूर करने की शिक्षा दी, उन्होंने तीन सिद्धांत दिए :- अनीश्वर वाद - यानि ईश्वर के अस्तित्व का न होना; कोई उत्पतिकर्ता नहीं है और न ही अंत अतः इस सृष्टि का न प्रारम्भ न अंत, दूसरे सिद्धांत में आत्मा पर कहते हैं की आत्मा का ज्ञान महानिर्वाण से ही मिल सकता है जिसे ध्यान व् समाधी से ही प्राप्त किया जा सकता है तथा तीसरा क्षणिकवाद जिसमें इस संसार में सब कुछ क्षणिक व् नश्वर है स्थायी कुछ भी नहीं है। बुद्ध ने मनुष्य को दुखों से मुक्ति पाने के लिए अष्टांग मार्ग का रास्ता सुझाया था जिसमें; १) सम्यक दृष्टि - सत्य में विशवास २. सम्यक संकल्प - नैतिक विकास ३ सम्यक वाक - झूठ न बोलना ४. सम्यक कर्म - दया व् करुणा ५. सम्यक जीविका - हानिकारक व्यापार का निषेध ६. सम्यक प्रयास - अपने में सुधार ७. सम्यक स्मृति - स्पष्ट ज्ञान तथा ८. सम्यक समाधि - निर्वाण प्राप्त करना, इस विधि से मनुष्य अपने दुखों से पार पा सकता है। इन सभी शिक्षाओं का आधार पतंजलि के अष्टांग योग से मिलता जुलता है जिसमें यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान व् सबसे ऊपर समाधि को बताया गया है जिससे निर्वाण अर्थात बुद्धत्व प्राप्त होता है।
बुद्ध के उपदेशों का सार पंचशील के सिद्धांत के रूप में भी जाना जाता है जिसमें अहिंसा, अस्तेय - चोरी न करना, व्यभिचार न करना, प्रत्याहार - प्रतिकूल आहार निषेध व् मद्यपान निषेध आदि पांच बिंदुओं पर अधिक आग्रह किया गया। जातिके सहज व स्वतंत्र अस्तित्व के लिए ये सिद्धांत आज अति आवश्यक हैं जबकि अहिंसा पर बुद्ध के विचार वर्तमान में महात्मा गाँधी जी के अहिंसा के सिद्धांत से कुछ भिन्न थे कि जैसे कोई जीव आपके प्रति हिंसा पर उतारू हो अहिंसा तब तक ही ठीक रहेगी जब तक आपका जीवन सुरक्षित रहे लेकिन आत्मरक्षा में यदि उसकी हत्या भी हो जाये है तो उसे हिंसा नहीं समझा जाये।
आज भगवान बुद्ध की शिक्षाएं बहुत ही प्रासंगिक हैं विश्व में शांति हो यह हम सभी चाहते हैं, विश्व में अनेक राष्ट्र बुद्ध के अनुयायी हैं, चीन, जापान कोरिया , वियतनाम आदि अनेक देश बौद्ध धर्म का अनुसरण करते हुए ही विश्व में अग्रणी बनें हैं तो भारत जहाँ बुद्ध का अवतरण हुआ वह हिंसा का सबसे ज्यादा शिकार क्यों हो गया यह सोचने का विषय है। हालाँकि भारत अपनी मर्यादा में रहकर विश्व में अपना स्थान सुरक्षित बनाये हुए है।बुद्ध के शांति व शक्ति के प्रयोग हमारे देश ने किए एक बार पंचशील का प्रयोग हुआ तो दो बार बुद्ध मुस्कुराये भी हैं पहला जब 1974 में परमाणु विस्फोट 18 मई को पोखरण में किया गया तथा दूसरी बार 11 मई 1998 को बुद्ध पुनः मुस्कुराये थे, परिणाम स्वरूप विश्व में भारत परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र के रूप में स्थापित हुआ। ये भारत के लिए शक्तिवर्धक क्षण थे जिससे विश्व में भारत की पुनः प्रतिष्ठा हुई। बुद्ध का सन्देश बिलकुल साफ है शक्ति ही शांति का मूल मंत्र है। आज हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का कोरोना संकट पर विजय के लिए विश्व को स्पष्ट सन्देश है की विश्व शांति के लिए बुद्ध के अंहिंसा, शांति, सह अस्तित्व व् विश्व बंधुत्व के मंत्र ही कारगर हैं ।
डॉ. मनोज गौड़।
7 मई, 2020
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भारत में कोरोना का प्रभाव डॉ मनोज शर्मा
26 अप्रैल
2020.
आधुनिक विश्व में कोरोना नामक
महामारी चीन के वुहान शहर से पिछले साल नवम्बर-दिसंबर से फैलनी शुरू हुई थी, तब
किसी को भी पता नहीं था की ये महामारी इतना विकराल रूप ले लेगी। पहले तो चीन ने इस
वायरस के बारे में सटीक जानकारी दूसरे देशों से छुपाई फिर इसके एक व्यक्ति से
दूसरे तक संक्रमण की जानकारी भी छुपाई, तथा इस बीमारी से संक्रमित लोगों को पूरे
यूरोप में जाने दिया जिससे यह वायरस बहुत तेजी से पूरे विश्व में फैल गया। आज
विश्व में 2 लाख से ज्यादा लोग असमय ही काल
के गाल में समा गए हैं तो इसके पीछे चीन द्वारा की कई गलतियाँ ही जिम्मेदार
हैं। पूरा विश्व इस महामारी से लड़ रहा है, इसका कोई प्रभावी इलाज भी नहीं है। कई
देशों की अर्थव्ययस्था चरमरा गई हैं, कारोबार, व्यापार ठप्प पड़े हैं, लोगों के
रोजगार छिन गए हैं, कई देशों में भुखमरी के आसार बनने लगे हैं, इन सबके लिए कोई
जिम्मेदार है तो वह है चीन।
हमारे देश में सबसे पहला कोरोना का मामला जनवरी में सामने आया
था, तभी से इसपर नियंत्रण के प्रयास शुरू कर दिए गए थे, प्रधानमंत्री मोदी जी के
निर्देशन में सबसे पहले विदेशों से आने वाले यात्रियों की जांच शुरू कर दी गई थी,
फिर देश की जनता को सामूहिक रूप से जागृत किया गया लोगों का पूर्ण सहयोग मिलने से
देश में लोकडाउन लगाने में सरलता हुई। आज अगर देश में कोरोना वायरस से संक्रमित
मरीजों व मृतकों की संख्या नियंत्रण में है तो इसका श्रेय बहुत शुरू से लागू की गई
सावधानियाँ ही हैं। ऐसा न किया होता तो यहाँ की स्थिति अमेरिका, इटली, ब्रिटेन व
फ्रांस आदि देशों से भी भयावह होती। देश की आर्थिक स्तिथि के लिए अनेक प्रयास समय
समय पर किए गए, गरीब और मजदूर वर्ग के लिए राशन व नगदी के रूप में मदद के लिए हर
संभव कोशिश की गई। अब जबकि लोकड़ाऊन की अवधि पूरी होने वाली है तो देश की इकोनोमी
को पटरी पर लाने के प्रयास तेज किए जा रहे हैं, धीरे धीरे छोटे और कुटीर उद्योगों
को खोलने की छूट दी जा रही है, देश के ग्रीन जोन में सीमित मात्रा में यातायात भी
खोला जा रहा है। ये सब कोशिशें सोशल दूरी बनाए रखते हुए कोरोना के संक्रमण को
सख्ती से रोकते हुए देश की आर्थिक स्थिति मे गति लाने के उद्देश्य से की जा रही है।
मोदी जी का मंत्र “जान भी और जहान भी”
बहुत ही उपयुक्त नीति मंत्र है, देश के हर नागरिक के जीवन की रक्षा तथा हर नागरिक
के धनोपार्जन की व्ययस्था सुनिश्चित करना इस समय शासन प्रशासन की महती जिम्मेदारी
है।
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Action against China
Action against China
In our lifetime no one has seen such a pandemic when every one is restricted to his home and isolated, due to the outbreak of novel Corona virus which emanated from Wuhan city of China. The whole world is at standstill and finding no remedy for this deadly virus. China has failed to send the SOS message at the earliest to the world to save themselves from this virus, this increasing death toll world over is forcin the people and states to file lawsuits to punish the guilty, here are some efforts.From India Ashish Sohani an Advocate in Mumbai High Court has filed a case of compensation of 2.5 Trillion dollars (Rs. 190 Lakh crores) on 11th April in the international Court of Justice in Netherlands against China Government, its Health department for the loss of life and loss of business and livelihood of the people at large in the country and world over.
2 US senators has filed a petition in US Congress for the damages caused by the negligence of Chinese authorities to tackle outbreak of novel Corona virus resulting in a pandemic
At least four federal class-action lawsuits have been filed against the Chinese government that aim to recover trillions of dollars in damages for what plaintiffs allege is China's failure to contain the coronavirus outbreak and notify the international community about its dangers.
In one suit filed in late March, a coalition of California property managers and an accounting firm are seeking to represent all "small businesses" in California that have suffered as a result of COVID-19, the disease caused by the novel coronavirus. A suit filed in mid-March by several Florida residents aims to assemble its own class of millions of people.
Larry Klayman, a conservative lawyer and founder of the group Freedom Watch, is leading another class-action complaint accusing China of releasing a "biological weapon" into the public.
All of the suits accuse the Chinese government of direct complicity in the COVID-19 outbreak and hope to use the machinery of the U.S. legal system to recover enormous amounts in damages. But the chance these actions will lead to any actual recoveries is slim, legal experts said.
https://www.newsweek.com/china-class-action-lawsuits-covid-19-1498400
A new report from the Associated Press shows China waited six key days after determining they were facing a global crisis to alert the public, and the communist regime repeatedly underreported the deaths and the total number of infections in the origin country.
Today, China admitted their death toll is at least 50 percent higher than first reported. The city of Wuhan, the epicenter for the COVID-19 outbreak, added 1,290 deaths to its toll, bringing the total to 3,869 after many dead were "mistakenly reported" or missed entirely.
https://www1.cbn.com/cbnnews/world/2020/april/lawmakers
Dear friends come on to expose the misdeed of China of spreading the coronavirus all over the world. Share our views.
Dr. M.K. Sharma (Gaur)
Dr. M.K. Sharma (Gaur)
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